शिव-पार्वती के बीच का वो संवाद, जिसमें छिपा है रंगों के त्योहार का असली अर्थधरती के लोगों के लिए तो आनंद रोज की बात है. वह मगन हैं, धरती का आदमी जो रोज कुआं खोद रहा है और रोज पानी पी रहा है, जिसके हिस्से संघर्ष ही संघर्ष आया है, जो चमत्कारों और दैवीय शक्तियों से कोसों दूर है, जो रोज जन्म का उत्सव और मृत्यु का शोक मनाता है और फिर अपनी धुन में रम जाता है. उसके लिए तो सब आनंद ही आनंद है. 

धरती के लोगों के लिए तो आनंद रोज की बात है. वह मगन हैं, धरती का आदमी जो रोज कुआं खोद रहा है और रोज पानी पी रहा है, जिसके हिस्से संघर्ष ही संघर्ष आया है, जो चमत्कारों और दैवीय शक्तियों से कोसों दूर है, जो रोज जन्म का उत्सव और मृत्यु का शोक मनाता है और फिर अपनी धुन में रम जाता है. उसके लिए तो सब आनंद ही आनंद है. 

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