कहानी ओमप्रकाश चौटाला की: 5 बार के सीएम से तिहाड़ के सबसे बूढ़े कैदी तक, कैसा रहा सफर

ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा नाम हैं। वह इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के प्रमुख नेता और हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनके जीवन का सफर राजनीति में ऊंचाइयों से लेकर कानूनी विवादों और जेल तक का रहा है। यहां उनकी कहानी का एक सारांश दिया गया है:

शुरुआती जीवन और राजनीतिक सफर

ओमप्रकाश चौटाला का जन्म 1 जनवरी 1935 को हुआ था। वह हरियाणा के दिग्गज नेता देवीलाल के बेटे हैं, जिन्हें "ताऊ" के नाम से जाना जाता है। देवीलाल की छत्रछाया में उन्होंने राजनीति में कदम रखा। चौटाला ने किसानों और मजदूरों के हक के लिए संघर्ष किया और जल्दी ही हरियाणा की राजनीति में अपनी पहचान बनाई।

1977 में चौटाला ने पहली बार विधायक के रूप में चुनाव जीता। 1989 में, देवीलाल के उपप्रधानमंत्री बनने के बाद, उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री का पद संभाला। इसके बाद वे चार और बार मुख्यमंत्री बने।

विवाद और कानूनी परेशानियां

ओमप्रकाश चौटाला का राजनीतिक सफर विवादों से अछूता नहीं रहा। 2000 में, हरियाणा में 3,206 जूनियर बेसिक ट्रेनिंग (JBT) शिक्षकों की भर्ती में भ्रष्टाचार का आरोप लगा। कहा गया कि भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएं हुईं और नौकरियां रिश्वत लेकर बांटी गईं।

2013 में, दिल्ली की एक अदालत ने चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को इस घोटाले का दोषी ठहराया। उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई और तिहाड़ जेल भेज दिया गया।

तिहाड़ के सबसे बूढ़े कैदी

सजा के दौरान चौटाला तिहाड़ जेल में सबसे उम्रदराज कैदियों में से एक थे। उनकी उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें कुछ समय बाद पैरोल पर रिहा किया गया।

राजनीतिक प्रभाव

चौटाला का राजनीतिक प्रभाव हरियाणा में आज भी कायम है। उनके बेटे और पोते उनकी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) को आगे बढ़ा रहे हैं। हालांकि, भाजपा और कांग्रेस के बढ़ते दबदबे के कारण INLD की ताकत घटती नजर आई है।

निष्कर्ष

ओमप्रकाश चौटाला का जीवन राजनीतिक सफलता और कानूनी विवादों का मिला-जुला सफर रहा है। उन्होंने हरियाणा की राजनीति में गहरी छाप छोड़ी, लेकिन घोटालों और सजा के कारण उनकी छवि को गहरी चोट पहुंची।


Post a Comment

Previous Post Next Post